आज के मंदसौर मंडी भाव Mandsaur Mandi Bhav
मंदसौर टुडे मैं आप सभी का स्वागत है इस पोस्ट में मंदसौर मंडी (Mandsaur
Mandi bhav) में चल रहे फसलों के भाव के बारे में आपको जानकारी देंगे साथ
ही मंडी की गतिविधियों के बारे में भी आपको सूचनाएं प्रदान करेंगे जिससे
आपको मंदसौर के मंडी भाव mandsaur Mandi bhav तथा मंडी में फसलों की आवक
में कमी तथा बढ़ोतरी के बारे में सही जानकारी मिलेगी इस पोस्ट में आपको
मक्का, सोयाबीन, चना, गेहूं, लहसुन, प्याज, चना, मटर, जैसी सभी फसलों के न्यूनतम व
अधिकतम भाव जो वर्तमान समय में मंदसौर मंडी में चल रहे हैं उनके बारे में
पता चलेगा तो आइए जानते हैं मंदसौर मंडी के भाव
(aaj ke Mandsaur Mandi ke
bhav)
Mandsaur Mandi bhav Today 24/02/2021
Update Date - 24/02/2021
फसल
|
न्यूनतम भाव
|
अधिक भाव
|
औसत
भाव
|
मक्का | 1150
|
1451
|
1300
|
सोयाबीन
|
4000
|
5040
|
4450
|
गेहूं
|
1697
|
1810
|
1745
|
चना
|
4101
|
4699
|
4400
|
लहसुन | 2001
|
8400
|
5250
|
सरसों
|
4800
|
5410
|
5100
|
प्याज
|
1500
|
4000
|
2750
|
डालर
चना
|
3900
|
4301
|
4100
|
मटर
|
3001 | 3300
|
3150
|
मूंग
|
|
|
|
उड़द | 4015
|
6875
|
5440
|
मसूर
|
3751
|
5411
|
4600
|
धनिया
|
5451
|
6251
|
5851
|
मेथी
|
5301
|
5921 | 5600
|
पोस्ता
|
|
|
|
अलसी
|
5000
|
5500
|
5250
|
तारामीरा
|
4200
|
4500
|
4350
|
इशोगोल | 7000
|
11300
|
9150
|
कलौंजी | 17041
|
17596 | 17300
|
तुलसी
बीज | 13801
|
13801 | -
|
तिल्ली
|
5500 | 7790 | 6650
|
तुवर
|
|
|
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अजवाइन
|
|
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1) मक्का की फसल:-
मक्का की फसल रवि
की फसल मानी जाती है किंतु इसे पूरे साल इसकी बुवाई कर सकते हैं आलू तथा
गन्ने की फसल प्राप्त करने के बाद इस फसल को लगा सकते हैं मक्का की फसल कम
पानी पर भी अच्छा उत्पादन देती है कई किसान भाई जिन क्षेत्रों में पानी की
कमी है वहां मक्का की अधिक बुराई करते हैं हालांकि रवि के मौसम में इसकी
उत्पादकता ज्यादा मिलती है इसकी बीच की लागत भी कम ही है उसके साथ ही इससे
पशुओं का चारा भी प्राप्त होता है जरूरत पड़ने पर बुड्ढे भी प्राप्त किए जा
सकते हो और कई कंपनियों में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है
मक्के की फसल के बुवाई का समय -
खरीफ में जून से जुलाई तक की जाती है
रवि में अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है
जायद में जनवरी से मार्च तक की जाती है
बुवाई
के समय मक्का में जलवायु के साथ 28 डिग्री तापमान होना अच्छा होता है और
मिट्टी की अगर बात करें तो दोमट व बलवी दोमट मिट्टी अधिक पैदावार के लिए
उपयोगी मानी जाती है और साथ ही अधिक उपजाऊ के लिए गहरी दोमट मिट्टी भी
उपयोग लाई जाती है और पीएच मान जो है वह 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए खाद
का छिड़काव मिट्टी के परीक्षण के बाद ही संतुलित स्थिति में करना है
सर्वश्रेष्ठ उपजाऊ देता है साथी ही बुवाई से 10 से 15 दिन पहले सड़ी हुई
गोबर का खाद खेत में डालना चाहिए मक्की की फसल में 4 से 5 बार सिंचाई की
आवश्यकता पड़ती है किस फसल में आप का पौधा 20 से 20 सेंटीमीटर दूरी पर होना
चाहिए जिससे आपको अच्छी पैदावार मिल पाएगी ।
2)उड़द की फसल:-
उड़द
की फसलें गर्म जलवायु प्रकाश काल के भीतर अच्छा उत्पादन प्रदान करती है
इनके लिए 25 से 30 डिग्री तापमान अच्छा होता है 700 से 900 मिलीमीटर वर्षा
वाले क्षेत्रों में इनका उत्पादन अच्छा होता है और फुल अवस्था पर यदि वर्षा
होती है तो यह इसके लिए हानिकारक है खरीफ कालीन तथा जायद कालिन फसल मानी
जाती है बलुई मिट्टी तथा गहरी काली मिट्टी में इसका उत्पादन किया जाता है
जिस का पीएच मान 6.5 से 7.8 तक होना चाहिए आप उड़द को मक्का बाजरा सूरजमुखी
जैसी फसलों के साथ एक साथ लगा सकते हैं उड़द की फसल में पौधे से पौधे की
दूरी 10 सेंटीमीटर होना उचित फसल के लिए अच्छा होता है और बीच को 4 से 6
सेंटीमीटर की गहराई पर बोना अच्छा होता है
खरीफ में उड़द के बीच की मात्रा 12 से 15 किलोग्राम प्रति एक्टर होनी चाहिए
और ग्रीष्मकालीन बीज की मात्रा 20 से 25 किलोग्राम प्रति एक्टर होनी चाहिए
सिंचाई
का समय - खरीद के समय उड़द की फसल में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है
यह वर्षा के जल से ही सिंचाई होती है और यदि वर्षा का अभाव हो तो एक सिंचाई
आवश्यक होती है अन्यथा नहीं
और जायद में इस फसल को तीन से चार सिंचाई की आवश्यकता होती है
विशेष बिंदु-
भूमि की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई 3 वर्ष में एक बार अवश्य करवाएं
पोषक तत्वों की मात्रा मिट्टी परीक्षण के बाद ही तय करें
बुवाई पूर्वक बीज उपचार जरूर करें
रोग प्रतिरोधक दवाइयों का उपयोग अपने क्षेत्र में रोग का अनुकूलन करने के बाद ही करें ।
3) सोयाबीन की फसल:-
सोयाबीन
मुख्य रूप से खरीफ के समय की जाती है क्या फसल वर्षा पर निर्भर रहती है इस
फसल में 20 प्रतिशत तेल व 40% प्रोटीन पाया जाता है और इससे अब इनका उपयोग
दूध आटा पनीर एवं कई प्रकार के व्यंजनों को बनाने में किया जाता है इस फसल
को अधिक मात्रा में उगाया जाता है
सोयाबीन की फसल
के लिए जलवायु -जिस समय सोयाबीन की बुआई होती है वह समय सुस्त गर्म जलवायु
होना चाहिए इस फसल में तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच होना चाहिए इस फसल के
लिए 50 से 70 सेंटीमीटर वर्षा अच्छी मानी गई है
मिट्टी
का चुनाव -
सोयाबीन की खेती के लिए चिकनी मिट्टी को छोड़कर आप अन्य
मिट्टीयो में इस फसल को लगा सकते हैं यह अच्छी पैदावार वाली फसल है यह
चिकनी मिट्टी में भी पैदा हो सकती है किंतु इसकी पैदावार कम होगी लेकिन यदि
आपके पास चिकनी मिट्टी की है तो आपको थोड़ी कम पैदावार के साथ सोयाबीन आप
उसमें लगा सकते हैं
बुवाई का समय-
सोयाबीन
की फसल को बारिश के समय में बोना चाहिए इस फसल को जून से जुलाई में बारिश
के हिसाब से बोलना चाहिए सोयाबीन बोने से पहले भूमि में 10 सेंटीमीटर तक
नमी होना आवश्यक है जिससे बीज अंकुरण अच्छा होता है
और साथ ही बीच की गहराई लगभग 3 सेंटीमीटर तक होना चाहिए
सिंचाई
का समय- खरीफ की फसल होने के कारण इस फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती
किंतु यदि बारिश का अभाव हो और सोयाबीन की फसल फूल तथा फली जनन की स्थिति
में हो तो आपको जरूरत के हिसाब से पानी सीचना चाहिए जिससे आप की पैदावार
अच्छी हो
विशेष बिंदु -
सोयाबीन की फसल को होने से पहले बीज उपचार करना अति आवश्यक है
मिट्टी परीक्षण करवाएं ताकि खेत की उर्वरकों की सही जानकारी आपको मिल जाए जिसके मुताबिक आप खाद डाल सके
इस फसल में 20 से 25 दिनों तक आपको खरपतवार पर नियंत्रण रखना होगा
दवाइयों का छिड़काव आपको समय वह मौसम के अनुकूल ही करना चाहिए जिससे फसल पर कोई उल्टा प्रभाव ना पड़े ।
4) गेहूं की फसल:-
बुवाई का समय-
अक्टूबर और नवंबर का महीना इस फसल की बुवाई के लिए काफी अच्छा है
इस फसल के लिए आप गोबर की खाद को जुदाई के समय अच्छी तरह डाल कर उसके बाद ही बीज की बुवाई करें
बुवाई के लिए बीज की मात्रा 1 एकड़ के लिए आपको 50 से 60 किलोग्राम बीच की आवश्यकता पड़ती है
बीज बोने से पहले बीज उपचार जरूर करें ताकि आप की फसल की पैदावार अधिक हो
सिंचाई
का समय-
प्रथम सिंचाई आपको गेहूं की बुवाई के पश्चात करना है और उसके बाद
15 - 15 दिन के अंतराल पर आपको सिंचाई करना चाहिए यदि मुख्य रूप से बात
करें तो पांच से छह सिंचाई की आवश्यकता इस में बढ़ती है किंतु कुछ जगहों पर
मिट्टी के परिवर्तन के कारण सिंचाई की संख्या में बढ़ोतरी व कमी हो सकती
है
गेहूं की फसल की पैदावार को बढ़ाने के लिए आपको सिंचाई पर मुख्य रूप से ध्यान रखना चाहिए
विशेष बिंदु-
किसी भी प्रकार का खाद डालने से पूर्व आप मिट्टी का परीक्षण करवा ले जिस के अनुकूल ही आप उसमें खाद का उपयोग करें
बीज को बोलने से पूर्व विचार अवश्य करें
सिंचाई का समय-समय पर ध्यान रखें और सिंचाई करें
5) चना की फसल:-
चने
की बुवाई का समय-
अक्टूबर से नवंबर के महीने में मुख्य रूप से इसकी बुवाई
की जाती है तथा कपास और धान के खेतों में बुआई करने वाले किसान 15 दिसंबर
तक इसकी बुवाई का काम निपटा लेवे और इससे अधिक देरी बुवाई में करने पर इसके
उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है
बीज दर- छोटे दाने वाले
चने के बीज को 60 से 70 प्रति एक्टर और काबुली चने के बीज को 80 से 85 किलो
प्रति एक्टर पर बुवाई करना चाहिए और बीच की गहराई 8 सेंटीमीटर तक रखना
उत्तम होगा इसका यह फायदा है कि ज्यादा गहरा चना बोने पर रोग कम लगता है
और इस फसल में पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए और लाइन
से लाइन की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए
चने की अच्छी पैदावार देने वाली किस्मे - विशाल, फुले विक्रम, फूले विक्रांत, फुले विश्वास, आदि
सिंचाई का समय -
पहली सिंचाई बुवाई के समय करें उसके बाद दूसरी सिंचाई फूल आने पर करें तथा तीसरी सिंचाई पाली बनने से पूर्व करें
विशेष बिंदु-
किसी भी प्रकार की कीटनाशक का उपयोग करने से पहले मिट्टी की जांच करवा ले और उसी अनुसार कीटनाशक का उपयोग करें
बीज को बोलने से पहले विचार अवश्य करें
सिंचाई
को वातावरण अनुकूल भी प्रभाव पड़ता है इसलिए वातावरण की गर्म या ठंडा होने
पर उसके अनुकूल सिंचाई के समय को बड़ा और घटा लेना चाहिए।
6) लहसुन की फसल:-
लहसुन
की फसल के लिए खेत की तैयारी आवश्यक है आप खेत तैयार करते समय गहरी जुताई
करवाएं और गोबर की अच्छी पकी खाद दो से तीन ट्राली डालें और उसके पश्चात
रोटावेटर से खेत को समतल करवाएं
बुवाई का समय- लहसुन की फसल के लिए उन्नत समय सितंबर से अक्टूबर होता है
तापमान- इस फसल के लिए 15 डिग्री से 30 से 35 डिग्री तापमान फसल अनुकूल रहता है
मिट्टी-
लहसुन की फसल के लिए सोहेल मिट्टी काली मिट्टी दोमट मिट्टी आदि पर इसकी
उन्नत खेती कर सकते हैं इस का पीएच मान 5 से 5.7 तक रहना चाहिए
mandsaur mandi bhav lahsun
बीच
का चुनाव -
आपको प्रथम मिट्टी परीक्षण करवाना चाहिए उसके बाद ही उसके
अनुकूल लहसुन के बीच का चयन करना चाहिए ताकि उसमें उन्नत पैदावार हो
बीज
की मात्रा बीच के आकार पर निर्धारित रहती है यदि बीच बड़ा या छोटा है तो
उस हिसाब से ही प्रति एक्टर आपको भी ज्यादा या कम लग सकता है यदि औसत रूप
से देखा जाए तो 160 से 170 किलो ग्राम बीच की आवश्यकता प्रति एक्टर पड़ती
है
बुवाई की जानकारी -
इस
फसल को मशीन तथा हाथों द्वारा दोनों ही विधियों से बुवाई करी जाती है बस
आपको ध्यान यह रखना है कि बीच से बीच की दूरी 3 से 4 इंच और लाइन से लाइन
की दूरी भी 3 से 4 इंच ही रखनी है
सिंचाई
का समय -
इस फसल में 10 से 12 दिनों के अंतराल में सिंचाई की जाती है
किंतु आप आपके तापमान तथा मिट्टी के अनुकूल सिंचाई के दिनों में बढ़ोतरी या
कमी कर सकते हैं इस फसल में आपको सिंचाई का सही तरीके से ध्यान रखना
आवश्यक है
विशेष बिंदु -
बीज को बोलने से पहले बीज उपचार अवश्य करें
कीटनाशक तथा खाद का उपयोग रोगों तथा मिट्टी परीक्षण के बाद ही करें
7) मेथी की फसल:-
बुवाई
का समय-
इस फसल की बुवाई आप अक्टूबर-नवंबर दिसंबर तथा जनवरी में कर सकते
हैं बुवाई से पहले आप गोबर के खाद का प्रयोग कर सकते हैं
जमीन का पीएच मान 8.2 तक ही होना चाहिए
mandsaur mandi bhav methi
खेत
की तैयारी-
इस फसल के लिए खेत की तैयारी में आप दो बार गहरी जुताई करवाएं
और एक हल्की जुताई करवाएं ताकि बड़े पत्थर खेत में ना रहे और साथ ही आपको
गोबर की खाद का उपयोग करना है प्रति एक्टर आपको 15 से 20 ट्रॉली खाद अच्छा
रहता है
बुवाई का समय -
नवंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई कर
देना चाहिए यह इसकी बुवाई का सबसे अच्छा समय है
इस फसल को यदि आप सब्जी के रूप लेना चाहते हैं तो आप इसे अक्टूबर के महीने में भी भी बुवाई कर सकते हैं
सिंचाई
का समय -
इस फसल में आपको लगभग 4 सिंचाई करनी है सिंचाई को आप मौसम तथा
तापमान के अनुकूल करें और यदि आप इस फसल को सब्जी के रूप में लेना चाहते
हैं तो 3 से 4 इंच ऊपर से फसल की कटाई करें ताकि अगली बार आपको अच्छा फुटाव
मिलेगा
यह फसल सब्जी के रूप में लेने के लिए 20 से 25 दिन में तैयार हो जाती है
8) सरसों की फसल:-
बुवाई का समय-
इस फसल का बुवाई का समय 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक रखना बहुत ही लाभदायक होता है
बीज
दर-
इस फसल की बीज दर 3 से 4 किलो प्रति हेक्टयर रखना है तथा हाइब्रिड
बीजो की बीज दर 1 किलो प्रति एक्टर रखना है और साथ ही यदि आप घर का बीज
उपयोग में ला रहे हो तो आपको बीज उपचार अवश्य करना है और हाइब्रिड बीजों का
उपयोग कर रहे हो तो उसमें इसकी आवश्यकता नहीं होती है
यदि
इस फसल को आप कतार में बोलना चाहते हो तो कतार से कतार की दूरी 30 से 45
सेंटीमीटर होनी चाहिए और लाइन से लाइन की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी
चाहिए
सिंचाई का समय-
सरसों की फसल में बुवाई के बाद दिए जाने वाले पानी के अलावा तीन और सिंचाई
की आवश्यकता पड़ती है किंतु कुछ क्षेत्रों में तापमान में बदलाव के कारण
सिंचाई की संख्या में वृद्धि या कमी हो सकती है और आपको सिंचाई भी तापमान
की अनुकूल ही करनी है
इसमें आपको पहली सिंचाई फूलों
के बनते समय और दूसरी सिंचाई फलियों के बनते समय तथा आखरी सिंचाई जब फलिया
विकसित रूप में जाने वाली होती है उस समय करना है
विशेष
बिंदु -
कीटनाशक तथा खाद का उपयोग मिट्टी परीक्षण के बाद तथा रोगों की सही
पहचान या किसी कृषि विशेषज्ञ जानकारी के बाद ही कीटनाशक व खाद का उपयोग
करें
9) प्याज की खेती:-
यह
फसल रवि तथा खरीद दोनों ही मौसम में लगाई जाती है इस फसल को बोलने के लिए
आपको पहले नर्सरी तैयार करनी पड़ती है जो कि 20 से 25 दिन पहले की जाती है
उसके बाद इसकी रोपाई करके इसको खेत में लगाया जाता है इस फसल की खेती आप
सभी मिट्टियों में कर सकते हैं बस मिट्टी उपजाऊ होना चाहिए सिर्फ इसकी अधिक
उपज के लिए आपको मिट्टी थोड़ी हल्की होना आवश्यक है जिससे इसका कंद बड़ा
हो सके यदि मिट्टी भारी होगी तो या सख्त होगी तो कंद बड़ा नहीं हो पाएगा
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जलवायु-
जलवायु के बारे में कहा जाए तो बुवाई के समय तथा फसल जब खेत मे लगी रहती
है वहां तक कोई समस्या नहीं है किंतु जब फसल को खेत से बाहर निकालकर काटने
के लिए रखा जाता है उस समय बारिश नहीं होनी चाहिए नहीं तो प्याज की स्टोरेज
क्षमता घट जाती है और प्याज सर सकते हैं
सिंचाई का समय -
इस फसल की सिंचाई आपको जलवायु तथा तापमान के अनुकूल ही करना है
10) मटर की फसल:-
इस
फसल के लिए अधिक उपयोगी मिट्टी हल्की दोमट मिट्टी, काली दोमट मिट्टी, दोमट
मिट्टी, इसके लिए अधिक उपजाऊ होती है बाकी अन्य दूसरी मिट्टियों में भी
इसका उपयोग किया जा सकता है इसका पीएच मान 6 से 7.5 मान्य होता है
एक बार बुवाई से पहले गहरी जुताई करवाना चाहिए
बीज
की मात्रा-
यदि इस फसल को आप जल्दी बोलना चाहते हैं तो आपको बीज की मात्रा
35 से 40 किलोग्राम प्रति एकड़ तथा लेट बोने के लिए बीज की मात्रा 45 से
50 किलोग्राम प्रति एक्टर होना चाहिए
बुवाई
का समय -
मध्य अक्टूबर से नवंबर तक इसकी बुवाई का समय अच्छा होता है कई
किसान अग्रिम फसल के लिए सितंबर के आखिरी सप्ताह में इसकी बुवाई कर देते
हैं जिससे उनको अगली फसल मिल जाती है बीज की वैरायटी पर निर्भर करता है
इसलिए यदि आप भी अग्रिम फसल बोलना चाहते हैं तो बीज की वैरायटी को जानने के
बाद ही बोए
मटर की बुवाई के बाद एक बार सिंचाई करना है उसके बाद जब मटर पर फूल
आते हैं तक दूसरी सिंचाई करना है और उसके बाद फूल से जब फली बनना प्रारंभ
होती है तब एक और सिंचाई देना आवश्यक होती है और उसके अलावा यदि आपके वहां
तापमान के अनुकूल यदि सिंचाई की अवस्था बनती है तो सिंचाई कर सकते हैं
1 टिप्पणियां
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